नाव पड़ी मजधार मैया जी पार लगा जाओ
होकर सिंह सवार मैया जी जल्दी आ जाओ
नैया मेरी डोल रही है तू क्यों बेठी है चुप चाप
बीच भवर मे मेरी बर्बादी कैसे देख रही मैया आप,
क्यों करती इनकार मैया जी मुझको बता जाओ
होकर सिंह सवार मैया जी जल्दी आ जाओ
आंधी तूफानों से लड़ते हार गया माँ लाल तेरा
तुझपर है विश्वाश मैया जी तोड़ी न विश्वाश मेरा
अब तो लो पतवार हाथ में पार लगा जाओ
होकर सिंह सवार मैया जी जल्दी आ जाओ
बीच भवर में फसी नैया केवट कहा से लाऊ माँ
तुझ बिन रक्षा हो नही सकती कितना भी चिलाऊ माँ
तू मेरी पतवार चहल के दुःख मिटा जाओ
होकर सिंह सवार मैया जी जल्दी आ जाओ