आओ घर को सजा दे गुलशन सा
मेरे बाबोसा आने वाले है
कलिया न बिछाना राहों में हम खुद को बिछाने वाले है,
आओ घर को सजा दे गुलशन सा .....
ये कितने दिनों के बाद है आई ,
आज मिलन की बेला है,
कई दिन गुजारे है यादों में ,
ये दर्द जुदाई का झेला है,
हो हो हो हो हो...
वो दर्श दिखाकर के बाबोसा ,
अपना बनाने वाले है,
कलिया न बिछाना राहों में हम खुद को बिछाने वाले हे.
आओ घर को ....
बाबोसा कही हो ना जाये ,
इस जग में मेरी हंसाई ,
राह निहारे तेरी हम ,
क्यों इतनी देर लगाई
हो हो हो हो हो...
पलको के रास्ते हम " दिलबर " तुम्हे दिल मे बसाने वाले है
कलिया न बिछाना राहों में हम खुद को बिछाने वाले हे
आओ घर को ....
।।।।।
✍️ रचनाकार ✍️
दिलीप सिंह सिसोदिया
❤️ दिलबर ❤️
नागदा जक्शन म.प्र .