माँ तुझसा नही कोई जहान में

माँ तुझसा नही कोई जहान में न इस जमीन पे न आसमा पे
तू सम्बाले हमे तू ही पाले हमे
मुशकिलो से हमेशा निकाले हमे
माँ तुझसा नही कोई जहान में

जब आंतक था असुरो का तब रन चंडी बन हुई सहाई
चंड मुंड को मार गिराया शुंभ निशुंभ की हस्ती मिटाई
ये है लिखा हर ग्रन्थ कथा में माँ तुझ सा नही कोई यहाँ में
तू सम्बाले हमे तू ही पाले हमे
मुशकिलो से हमेशा निकाले हमे
माँ तुझसा नही कोई जहान में

आज जरूत है फिर तेरी
देर न कर अब आजा माँ भगत मुसीबत में है मैया
अमृत इन्हें पीला जा माँ
अब किस का हम दामन थामे माँ तुझसा नही कोई जहां में
तू सम्बाले हमे तू ही पाले हमे
मुशकिलो से हमेशा निकाले हमे
माँ तुझसा नही कोई जहान में
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