हम कोई गैर नहीं

हम कब से पड़े है शरण है तुम्हारी सुनलो सावंरिया ,
हम कोई गैर नहीं ॥
नौकर तेरे दरबार के हम है सुनलो सावंरिया ,
हम कोई गैर नहीं ॥

गुजरा हुआ हर पल हमें याद आता है -॥
तेरे सिवा हमको ना कोई भाता है॥
मेरी लाज तुम्हारे हाथ है सुनलो सावंरिया ।
हम कोई गैर नहीं...... ॥

अपनों से सावंरिया परहेज है कैसा ॥
देखा ना दुनिया में दिलदार तुम जैसा ॥
हम तेरे आसरे कब से बैठे सुनलो सावंरिया ।
हम कोई गैर नहीं...... ॥

बस इतनी तमन्ना है दीदार हो तेरा
कही बिखर न जाए श्याम अनमोल प्यार मेरा
अब निर्मोही न बनो 'ओम' की सुनलो सावंरिया
हम कोई गैर नहीं...... ॥
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