बिछड़े कभी न हम बस तेरे दर से 
दया का हाथ रहे इसी दास के सर पे 
जब भी मैं हारा आके कन्हैया मेरी लाज बचाई 
दुःख की घडी में पोंछ के आंसू मेरी लाज बचाई 
दया तूने मोपे मेरे श्याम दिखाई 
मेरी लाज बचाई ..............
गर्दिश में अपनों ने मुखड़ा जो मोड़ा 
तूने ही थामा मेरा हाथ ना छोड़ा 
कसके यूँ तूने मेरी पकड़ी कलाई 
मेरी लाज बचाई ..............
भूल ना पाऊं मेरा गुज़रा ज़माना 
तूने शरण में बाबा दिया था ठिकाना 
जीवन जियूं मैं कैसे कला ये सिखाई 
मेरी लाज बचाई ..............
गईं भी ना पाऊं दानी उपकार तेरे 
दुखड़े मिटाये तूने हर बार मेरे
मोर की छड़ी मेरे सर पे घुमाई 
मेरी लाज बचाई ..............
शब्दों में कर ना पाऊं शुक्राना तेरा 
आंसू ये हर्ष के हैं नज़राना तेरा 
आंसुओं परे मेरे तूने दया जो दिखाई 
मेरी लाज बचाई ..............