श्याम प्रेमी होक तू काहे घबराता है

श्याम प्रेमी होकर तू काहे घबराता है,
ये तो तेरी किस्मत है तेरा श्याम से नाता है,
श्याम प्रेमी होक तू काहे घबराता है....

छा जाती है जब दुःख की बदलियाँ,
बरसात सुख की करता सांवरियां,
खुशियों से फिर नेहलाता है,
श्याम प्रेमी होकर............

लगती जो ठोकर गिरने ना देता,
बाहों में आकर ये थाम लेता,
और गल्ले से लग जाता है,
श्याम प्रेमी होकर........

क्यों डरता कुंदन मुश्किल गद्दी में,
जादू बड़ा इसकी मोर छड़ी में,
बाबा इसे जब लहराता है,
श्याम प्रेमी होकर..........
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