तर्ज - गली में आज चाँद निकला
जब सर पे बाबोसा का हाथ, फिकर फिर क्यू करे,
तेरी बिगड़ी बनेगी हर बात, तू दुनिया से क्यों डरे,
जब सर पे बाबोसा का हाथ.....
सुख दुख का बाबोसा सहारा,
दुखियो का ये पालनहारा,
बनके साया चले ये दिन रात,
तू दुनिया से क्यों डरे,
जब सर पे बाबोसा का हाथ.....
रख इनपे पूरा भरोसा,
हारने न देगे बाबोसा,
देगा खुशियो की ये सौगात,
तू दुनिया से क्यों डरे,
जब सर पे बाबोसा का हाथ.....
करदे अर्पण "दिलबर" जीवन,
फिर सुलझे तेरी हर उलझन,
रिया होगी कृपा की बरसात,
तू दुनिया से क्यों डरे,
जब सर पे बाबोसा का हाथ.....