वो बाप ही होता है

परिवार का बोझा जो , कंधो पे ढोता है ,
कोई और नहीं प्यारे , वो बाप ही होता है,

परिवार की खातिर वो , जब घर से निकलता है,
पैरों के तले अपने , अरमान कुचलता है,
हालात से जो अक्सर , करता समझौता है,
कोई और नहीं प्यारे ..

गंभीर दिखाई दे , बेटे की पढ़ाई पे ,
पत्थर दिल भी पिघले , बेटी की विदाई पे ,
इक कोने में जाकर , वो फुट के रोता है ,
कोई और नहीं प्यारे ..

दुनिया में पिता से ही , पहचान मिली हमको,
सूरज सी चमकती जो , वो शान मिली हमको,
सम्मान की माला में , प्रतिभा को पिरोता है ,
कोई और नहीं प्यारे ..

हर दुख हर चिंता को , हंस करके वो झेले ,
बच्चों पे मुसीबत हो , वो मौत से जा खेले ,
मेहनत के पसीने से , " नरसी " दुख धोता है,
कोई और नहीं प्यारे ..

लेखक एवं गायक : नरेश " नरसी " ( फतेहाबाद )
की ओर से आप सभी को .. !! जय श्री श्याम जी !!
भजन प्रेषक : प्रदीप सिंघल ( जीन्द वाले )
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