यमुना किनारे गोपी पुकारे आ शामा
आवो साहमने कोलो दी रूस के ना जा शामा
शामा वे मेरी मटकी भर दे,
भर मटकी मेरे सिर ते धर दे,
चार कदम संग चल वे,
शामा वे मेरी मटकी भर दे,
शामा वे मैनू दूर न समझी,
कुञ्ज गली मेरा घर वे,
शामा वे मेरी मटकी भर दे,
शामा वे मैनू काली न समझी,
गोरा चिट्टा मेरा रंग वे,
शामा वे मेरी मटकी भर दे,
शामा वे मैनू कुंवारी न समझी,
शाम सूंदर मेरा वर वे,
शामा वे मेरी मटकी भर दे,
यमुना किनारे गोपी पुकारे आ शामा
आवो साहमने कोलो दी रूस के ना जा शामा