मैंने राम नाम धन पाया मेरे जीवन में रस आया

ध्याम मूलं गुरुर मूर्ति, पूजा मूलं गुरु पदम्।
मन्त्र मूलं गुरुर वाक्यं मोक्ष मूलं गुरु कृपा॥

गुरु जी को करिए वंदना, भाव से बारम्बार।
नाम सुनौका से किया, जिसने भव से पार॥

मैंने राम नाम धन पाया, मेरे जीवन में रस आया।
मेरे सतगुरु कृपा कीनी, मुझे नाम की संपत्ति दीनी॥

नाम है ऐसा मधुर प्यारा, मन की तपत भुजावे रे।
अन्धकार को दूर भगा कर जीवन ज्योति जलाए रे।
मेरे सतगुरु ने दर्शाया, मैं तब ही दर्शन पाया,
मेरे सतगुरु कृपा कीनी, मुझे नाम की संपत्ति दीनी॥

नाम की धुन जब पड़ी कान में, सुध बुध भूल गयी सारी।
राम ही राम गुन्जेओ मन में, राम की खिल गयी फुलवारी।
मेरे सतगुरु ने समझाया, मेरे बीतर नाद जगाया,
मेरे सतगुरु कृपा कीनी, मुझे नाम की संपत्ति दीनी॥
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