तेरी मर्ज़ी का मैं हूँ गुलाम ओ, मेरे अलबेले राम,
तेरी मर्ज़ी का मैं हूँ गुलाम ओ, मेरे अलबेले राम.....
तन मन धन प्रभु तुम पर न्योछावर,
ठुकरा दो या प्रभु रखो अपना बना कर,
प्रभु दे दो सजा या इनाम,
ओ मेरे अलबेले राम
तेरी मर्ज़ी का में हूँ गुलाम ओ, मेरे अलबेले राम......
हार चूका हूँ अपनी अकल लड़ा कर,
थक भी चूका हूँ अपनी शक्ति लगा कर,
अपना, प्रभु सम्भालो अपना इंतजाम,
ओ मेरे अलबेले राम,
तेरी मर्ज़ी का में हूँ गुलाम ओ, मेरे अलबेले राम......
मुझको बना लो प्रभु अपना पुजारी,
निस दिन सेवा करूँ मैं तुम्हारी,
करूँ दर्शन तेरा सुबहो शाम,
ओ मेरे अलबेले राम,
तेरी मर्ज़ी का में हूँ गुलाम ओ, मेरे अलबेले राम......