सांवरिया मन भाये गेयो रे
चित चोर म्हारा चित चुराये गेयो रे
सांवरिया मन भाये गेयो रे
माखन चोर है चित को चुराता
सब के मन को ये है बहाता ,
बंसुरिया अपनी बजाए गयो रे
सांवरिया मन भाये गेयो रे
अपनी कला से ये मन सब का मोहे
इसकी अदा मैं बताऊ कैसे तोहे
अपनी अदा में फसाए गयो रे
सांवरिया मन भाये गेयो रे
मोर मुकट धारी बंसी बजाईया
नाम है नटवर मुरली कन्हियाँ
गुजिया को अपने लुभाए गयो रे
सांवरिया मन भाये गेयो रे