कलयुग का ये देव निराला,श्याम धनि मेरा ये खाटू वाला,
हाथ पसारे जो भी आया उसी को माला माल कर दियां
नए भगत की पहले सुनता ये है नीला धारी,
बिन मांगे ही झोली भरता ऐसा है दातारि,
जिस ने भी दर पे शीश झुकाया मन चाहा फल उस ने पाया,
बन के सुदामा जो भी आया उसी को लालो लाल कर दियां,
अँधा दर पे आँखे पाता निर्धन पाए माया,
बांजन को बेटा मिल जाता कोड़ी कंचन काया,
दुखडो से लड़ के जिसने पुकारा बन करके आया उसका सहारा,
नंगे पैरो ही दौड़ा आया देखो री क्या कमाल कर दिया,
कलिकाल में इनके जैसा देव नहीं है दूजा,
हर्ष कहे घर घर में होती श्याम धनी की पूजा,
श्रद्धा से जिसने ज्योत जगाई इक पल ने करता सुनवाई,
जिसने भरोसा दिखलाया उसी को निहाल कर दियां,