( साहिब तमारी साहिबी, सब घट रही समाय,
मेहंदी के रे पात में, लाली लखी नहीं जाय।
अलख ईलाही एक है नाम धराया दोय,
कहै कबीर दो नाम सुनि भरम पड़ो मत कोय,
राम रहीमा एक है, नाम धराया दोय,
तेरे अंतर टाटी भरम की, यासे सूझे दोय।
मोरे साहिब, ओ मोरे मौला,
ओ मोरे बाबा, ओ मेरे साहिब। )
मेरे हद की सरहदे मोरे साहेब, आके जरा मिटा दो,
मेरे हद की सरहदे मेरे मौला, आ के जरा मिटा दो,
खो गया हूँ इस नगरी में, जरा रोशनी दिखा दो,
खो गया हूँ इस नगरी में, जरा रोशनी दिखा दो,
माया नगर में खो गया, अब रोशनी दिखा दो,
काया नगर में खो गया, ज़रा रोशनी दिखा दो ॥
तड़पा हूँ कबसे मैं तो, खुद ही की तारीकी में,
बेहद का नूर फैला, बस तेरी आशिकी में,
बेहद का नूर फैला, बस तेरी आशिकी में,
तुम जानते हो मुझको, आग़ोश में छुपा लो,
मेरे हद की सरहदे मेरे मौला, आके जरा मिटा दो,
मेरे हद की सरहदे मेरे दाता, आके जरा मिटा दो,
गुम गया हूँ इस नगरी में, ज़रा रोशनी दिखा दो,
काया रे नगर में खो गया, ज़रा रोशनी दिखा दो,
माया नगर में खो गया, ज़रा रोशनी दिखा दो,
मेरे हद की सरहदे मेरे मौला, आके जरा मिटा दो ॥
ढूँढा है मैंने तुमको, पूजा के दायरों में,
तुम साथ ही हो मेरे, देखा जो आईने में,
भटका हुआ है राही, मंजिल जरा दिखा दो,
भटका हुआ है राही, मंज़िल जरा दिखा दो,
मेरे हद की सरहदे मेरे मौला, आके जरा मिटा दो,
काया रे नगर में खो गया, ज़रा रोशनी दिखा दो,
माया नगर में खो गया, ज़रा रोशनी दिखा दो,
मेरे हद की सरहदे मेरे मौला, आके जरा मिटा दो ॥
मेरी आरज़ू तुम्ही हो, मेरी आबरु तुम्हीं हो,
मेरे दिल की धड़कनों में साहिब, जुस्तजू तुम्ही हो,
मेरे दिल की धड़कनों में साहिब, जुस्तजू तुम्ही हो,
अब खलबली इतनी, अब तो मुझे खला दो,
खलबली इतनी, अब तो मुझे ख़ला दो,
ये अर्ज है कमल की साहिब, अब दिल में मेरे तुम बसा लो,
मेरे हद की सरहदे मोरे साहेब, आके जरा मिटा दो,
काया रे नगर में खो गया, ज़रा रौशनी दिखा दो,
माया नगर में खो गया, ज़रा रौशनी दिखा दो,
मेरे हद की सरहदे मेरे मौला, आके जरा मिटा दो.......