मारी पार्वती काई जचग्यो रे
थारे भोलो शंकर लेहरी।
पार्वती पार्वती काई जचग्यो रे
थारे भोलो शंकर लेहरी।
अरे रंग नहीं देख्यो थने ,
रूप कोनी देख्यो
सावला कलर को भोले लेहरी।
मारी पार्वती......
अरे घर नहीं देख्यो थने,
बार कोनी देख्या
कथे रेवे बेचारी मारी पार्वती
मारी पार्वती........
अरे बबक बबक यो वाणी बोले,
बूढ़ा रे डोकरा में काई देख्यो
बूढ़ा डोकरा में काई देख्यो
मारी पार्वती.....
करम फुटग्या मारी गोरा राणी ,
बालम जी बुढो मलग्यो
थाने बालम जी बूढ़ो मलग्यो
मारी पार्वती....
अंकित जी को नागर डीजे ,
राजपुरा में बाजे रे
राजपुरा में बाजे रे पूरा ,राजस्थान में बाजे रे
मारी पार्वती। …….
अभिनाश यो गीत लिख गावे
भरत जी मीणा मारे संग साथी
मारी पार्वती। …….
मारी पार्वती काई जचग्यो रे ,
थारे भोलो लेहरी।
पार्वती पार्वती काई जचग्यो रे ,
थारे भोलो लेहरी।