तुम रूठे रहो मोहन हम तुम्हे मना लेंगे॥
अहो मे असर होगा घर बेठे बुला लेंगे॥
तुम कहते है मोहन हमें मधुवन प्यारा है,॥
इक वार तो आ जाओ मघुवन ही बना देंगे॥
तुम रूठे रहो ........
तुम कहते हो मोहन हमें माखन प्यारा है॥
इक बार तो आ जाओ माखन ही खिला देंगे॥
तुम रूठे रहो .........
तुम कहते हो मोहन कहा बिठाओ गये॥
तो इस दिल मै आ जाओ पलकों पे बिठा देंगे॥
तुम रूठे रहो ....
तुम हमको ना चाहो इस की हमें परवाह नही॥
हम बात के पके है तुम्हे अपना बना लेंगे॥
तुम रूठे रहो ......
लगी आग जो सिहने में तेरी प्रेम जुदाई थी॥
हम प्रेम की धरा से लगी दिल की बुजा लेंगे
तुम रूठे रहो ....