किसी के काम जो आये उसे हिन्सान कहते हैं

मंदिर में  पूजा करो तीर्थ करो हज़ार
दिल में दया धरम नहीं, तो मनवा सब कुछ हैं बेकार

किसी के काम जो आये, उसे हिन्सान कहते हैं
पराया दर्द अपनाये, उसे हिन्सान कहते हैं

यह दुनियाँ एक उलझन है, कहीं धोखा कहीं ठोकर।
कोई हँस-हँस कर जीता है, कोई जीता है रो-रोकर॥
जो मुश्किल में ना गभराये, उसे इन्सान कहते हैं॥

अगर गलती रुलाती है, तो राहें भी दिखाती है।
मनुज गलती का पुतला है, तो अक्सर हो ही जाती है॥
जो कर ले ठीक गलती को, उसे इन्सान कहते हैं॥

यों भरने को तो दुनियाँ में, पशु भी पेट भरते हैं।
लिये इन्सान का दिल जो, वो नर परमार्थ करते हैं॥
पथिक जो बाँट कर खाये, उसे इन्सान कहते हैं॥
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