शिर्डी को जाने वाले इतना कर देना ,
मेरा प्रेम संदेसा साईं चरणो मई धर देना ,
अब पढ़े या पढ़ेना यह तो उनकी मर्जी है ,
मैंने मंन की बात संदेशे मई लिख डाली है
शिर्डी को जाने वाले इतना कर देना ,
मेरा प्रेम संदेसा साईं चरणो मई धर देना ,
प्यार का साईं देखो उजड़ा गुलशन है ,
अपने तन का अपना मन ही दुश्मन है
जन्हा उजले तन की हर तस्वीर काली है ,
हो मैंने मन की बात संदेशे मई लिख डाली है .
शिर्डी को जाने वाले इतना कर देना ,
मेरा प्रेम संदेसा साईं चरणो मई धर देना ,
अब पढ़े या पढ़ेना यह तो उनकी मर्जी है ,
मैंने मंन की बात संदेशे मई लिख डाली है .
बेबस लाचार समझ के सब ठुकराते है ,
भाग के ताने मन को सब तड़पाते है ॥
यह दुनिया प्यार से बाबा सब खाली है ,
ओ ओ ओ मैंने मन की बात संदेशे में लिख डाली है .
शिर्डी को जाने वाले इतना कर देना ,
मेरा प्रेम संदेसा साईं चरणो मई धर देना ,
अब पढ़े या पढ़ेना यह तो उनकी मर्जी है ,
मैंने मंन की बात संदेशे मई लिख डाली है .॥
पहले जैसी साईं अब तो रीत नही,॥
आज यहाँ पे कोई किसी का मीत नही,
हर रिश्ते की टूटी देखी यह दहली है
शिर्डी को जाने वाले इतना कर देना ,
मेरा प्रेम संदेसा साईं चरणो मई धर देना ,
इतना कर्म तो साईं मेरे कर देना
अपनी रहमत से हर दामन को भर देना
दरबार तुम्हारा हर दरबार से आली है
शिर्डी को जाने वाले इतना कर देना ,
मेरा प्रेम संदेसा साईं चरणो मई धर देना ,