तेरी काया रहे अलमस्त

तेरी काया रहे अलमस्त नाम की पी लेना बूटी,
पी लेना बूटी नाम की पी लेना बूटी,

तन की याकुंडी मनका सोठा सत्य की जड़ी बूटी,
कर्म का ये रुमाल जान तेरे तन को लगे बूटी,

हाथ पसारे जायेगा रे आयो बांध मुट्ठी,
नेन खोल के देख जरा तक जिंदगानी झूठी ,

काल अचानक आकर के गेरे लंका जो लूटी ,
शाल दू शाला काम ने आवे टाकिया रहे खूंटी,

एक तो बेडो  पड़ियो समद में दूजी नाव् टूटी,
बिना हरि के नाम बिना घर से डोर छुट्टी,

ब्रह्मा पी गए विष्णु पि गए और पी गई शक्ति,
दास कबीरा ने एसी पी ली आवागमन छुट्टी ,

तेरी काया रहे अलमस्त नाम की पी लेना बूटी

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