गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए

गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए
चरण में पड़े हैं उद्धार कीजिए

नैनों के दीपक में संजोए भक्ति भाव की बाती
आँसुओं का तेल भरा उम्मीद की लौ जलाती
ये ज्योत हृदय की उजियार कीजिए
गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए

तरस रही अखियाँ व्यथित हुआ मन
लगी हुई हैं दिल को दरश की लगन
अब देके शीघ्र दर्शन कृतार्थ कीजिए
गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए

जग में भटक रहे हैं दर दर ठोकर तुम बिन खाते
याद हैं आती हमको गुरूवर की प्यारी बातें
मिले गुरू दीदार ये उपकार कीजिए
गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए

जीवन की ये काली रातें तुम बिन ऐसी बीते
चाँद दरश बिना चातक जैसे रहे रीत के रीते
दे के दरश हमको उबार लीजिए
गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए

जैसे भी हैं तेरे ही हैं सारा जग ये जाने
सारे जग को छोड़के बापू तुमको अपना माने
व्यथा मेरी प्रभुजी अब देख लीजिए
गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए

प्रभु की बाते होती जब हम संग जोगी के होते
बिन तेरे हे बापू हम सब हर पल हैं कुछ खोते
आके हमको खुशियाँ बेशुमार दीजिये
गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए

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