आया है बुलावा माँ का होजा तयार,
मिलता नसीब से जाने को दरबार
चल मेरे साथी माँ ने बुलाया
वारि जाऊ ऐसे दिन पर जो है आया
मेरे अरमानो को है पंख लगाया
कितने वर्ष पर दिन है ये आया बेटे को माँ ने घर अपने बुलाया,
मुदतो से इस पल का था मुझको इन्तजार
मिलता नसीब से है जाने को दरबार
चल मेरे साथी माँ ने बुलाया
मन की लगन को है माँ ने पहचाना
तभी तो बुलावा भेजी तन हुया उजाला
अब लगता है दिन लौटे गे अपने
पुरे होंगे अब सारे देखे हुए सपने
हमे अपनाया है ये माँ का उपकार
मिलता नसीब से है जाने को दरबार
चल मेरे साथी माँ ने बुलाया