आने से माँ के आये बाहर जाने से माँ के जाये बाहर,
बड़ी दया मई है मेरी पद्मावती माँ,
हस्ते हो दर्शन अये भगतों की जब जब यह टोली,
करती मुराद पूरी खली भारती सभी माँ की झोली,
आकर कर तुम पूजो तो झोली भरने वाली है
मेरी पद्मावती माँ........
दवारे मेरी माँ के सचे मन से जो आस लगाये
किरपा से मेरी माँ के खाली झोली भर के ले जाये
आकर तुम देखो तो झोली भरने वाली है
मेरी पद्मावती माँ........
जिसने मेरी माँ का सचे मन से दीप जगाया,
किरपा से मेरी माँ के सारी खुशियों को उसने पाया,