तू चरणों में झुक जा तेरा हाथ पकड़ लेगी,
दादी तुझको अपने भगती में झकड लेगी
तू चरणों में झुक जा तेरा हाथ पकड़ लेगी
दादी के चरणों में बैकुंठ समाया है
जो झुका उसी ने ही सुख स्वर्ग का पाया है
जन्नत की सब खुशियाँ झोली में भर देगी
दादी तुझको अपने भगती में झकड लेगी
जिस घड़ी तू दादी के चरणों में झुक जाए
माथे की सब चिंता चोखट पे चढ़ जाए,
माँ मुक्ति तुझे सारे चिंता से कर देगी
दादी तुझको अपने भगती में झकड लेगी
चरनो की रज जिनके मस्तक पे लग जाती
दादी की हर्ष उन्हें किरपा ही मिल जाती
स्वाती दुखड़े तेरे दादी जी हर लेगी
दादी तुझको अपने भगती में झकड लेगी