कान्हा मधुवन में तुम आया न करो
जादू भरी बांसुरी बजाया न करो
एक राधिका है प्रेम दीवानी
उसको और सताया न करो
जादू भरी बांसुरी बजाया न करो
सूरत तुम्हारी सलोनी संवारी
सुन बांसुरी को हो गई वानवरी
माखन और चुराया न करो,
जादू भरी बांसुरी बजाया न करो
माथे मुकट गल माला सोहे कानो में कुंडल मन मेरा मोहे
मोहनी रूप बनाया न करो
जादू भरी बांसुरी बजाया न करो
पाव् चले न चली राहो में नींद न आई सोई आँखों में
मुरली की तान सुनाया न करो
जादू भरी बांसुरी बजाया न करो
मीठी मीठी बांसुरी मोहे निहारे
चंदर सखी की विनती सुनो वनवारी
दर्श दिखो देर न करो
जादू भरी बांसुरी बजाया न करो