सबका एक सहारा मुरली वाला
कष्ट हरे जग का ननद का लाल
तूने ही श्याम जी रचा संसार है,
जाने न कोई मोहन तेरी लीला अपरम पार है
तूने ही, श्याम जी तूने ही...
गोकुल में जाके मोहन, कभी मथुरा में पुकारा
महा रास है रचाया, कहाँ वास है तुम्हारा
मन चाहता है मोहन मन में तुझे बसा लें
चरणों की धुल तेरी माथे पे हम लगा ले
करदे उधार मेरा तू जग का पालन हार है
तूने ही, श्याम जी तूने ही...
लीला रचाई बन के गैयों का रखवाला
गीता में भी दिया है हमे ज्ञान का उजाला
तन मन से जो भी तेरा इक बार तेरा हो गया है
तेरी दया से भव से वो पार हो गया है
तू ही तो है गिरिधर, सब का आधार है
तूने ही, श्याम जी तूने ही...