कान्हा मेरे हाथो से निकल गयो रे
मैं पकडन लागी फिसल गयो रे
सूरज में ढूंढा मैंने चंदा में ढूंढा
तारो की झिलमिल में छुप गयो रे
कान्हा मेरे हाथो.....
फूलों में ढूंढा मैंने कलियों में ढूंढा
फूलों की खुशबू में छुप गयो रे
कान्हा मेरे हाथो.....
नंदजी से पूछा बलराम जी पूछा
मैया के आँचल में छुप गयो रे
कान्हा मेरे हाथो.....
संतो में ढूंढा मैंने सत्संग में ढूंढा
भगतो के हिरदे में बस गयो रे
कान्हा मेरे हाथो.....