शारदे शारदे वर दे मां ऐसा
एक युग मे तो क्या
किसी युग में दिया हो न जैसे।।
शारदे.........
तेज तेरा जगत में समाया
रूप तेरा मेरे मन को भाया।
ज्ञान की जोत से जग सजाया
वीणा वाली में ये गुनगुनाया।।
शारदे.........
वेद हाथों में माँ तेरे भाये
वीणा वाली तू वीणा बजाये।
स्वरमयी तुझको जो नित्य ध्याये
तेरा आशीष वो निष्चय पाये।।
शारदे.....
सात स्वर विराजे तू माता
वीणा कर तेरे मात भाता।
मान सम्मान और ज्ञान पाता
तेरे चरणों के गुण जी भी गाता।।
शारदे.......
गीतकार-राजेन्द्र प्रसाद सोनी