आई सिंह पे सवार, मईया ओढ़े चुनरी ll
ओढ़े चुनरी, मईया ओढ़े चुनरी l
आई सिंह पे सवार, मईया ओढ़े चुनरी ll
आदिशक्ति है मात भवानी, जय दुर्गे मॉं काली l
बड़े-बड़े राक्षस संहारे, रणचंडी मतवाली ll
करती भक्तों का उद्धार, मईया ओढ़े चुनरी ll,
आई सिंह पे सवार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
महिषासुर सा महाँबली, देवों को खूब सताया l
छीन लिया इन्द्रासन और, देवों को मार भगाया ll
करी देवों ने पुकार, मईया ओढ़े चुनरी ll,
आई सिंह पे सवार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
दुर्गा का अवतार लिया, झट महिषासुर संहारी l
दूर किया देवों का संकट, लीला तेरी न्यारी ll
किया देवों पे उपकार, मईया ओढ़े चुनरी ll,
आई सिंह पे सवार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
जो कोई जिस मनसा से माता, द्वार तुम्हारे आता l
हर इच्छा होती है पूरण, मुँह मॉंगा फल पाता ll
तेरा गुण गावे संसार, मईया ओढ़े चुनरी ll,
आई सिंह पे सवार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कष्ट अनेकों मुझको घेरे, कौन हरे दुख मेरे l
नाम तेरा रटता हूँ मईया, मैं हर सॉंझ सवेरे ll
सेवक करता है पुकार, मईया ओढ़े चुनरी ll,
आई सिंह पे सवार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपलोडर- अनिलरामूर्तीभोपाल