लाल चुनरिया लेके मैया,
कब से खड़ी तेरे द्वार
भवानी करले अब स्वीकार,
महारानी करले अब स्वीकार
तेरे नाम की चुनरी लायी,
अपने हाथों से है सजाई,
रंग बिरंगी तारे जड़ लायी,
कर स्वीकार तू ओढ़ भवानी,
मानूगी अहसान
भवानी करले अब स्वीकार,
महारानी करले अब स्वीकार।
ये चुनरी जयपुर से लाइ,
पैदल पैदल चल कर आयी
लाल चुनरिया हरो हरो पल्लू,
गोटा लगी किनार,
भवानी करले अब स्वीकार,
महारानी करले अब स्वीकार
चुनरी ओढ़ मैया मंदिर में बैठी,
पावन ज्योत देखो जल रही ऐसी
सबके मन की सुने भवानी,
दूर करे अंधकार
भवानी करले अब स्वीकार,
महारानी करले अब स्वीकार