झिलमिल ज्योत झलक रया मोती
पारी ब्रम्ह निरंजन आरती
काहे करू दिवलो न काहे करू बाती
आसी कायन ज्योत जले हो दिनराती
पारिब्रम्ह निरंजन आरती
तन करू दिवलो न मन करू बाती
सोहम ज्योत जलहू दिनराति
पारिब्रम्ह निरंजन आरती
धरती आकाश उमड़ गया बादल
डाल मुल नही फूल न पाती
पारिब्रम्ह निरंजन आरती
कंचन थाल कपूर की बाती
अखंड ज्योत जलहु दिनराती
पारिब्रम्ह निरंजन आरती
कहे मनरंग आगम की या वाणी
आसी या आरती तीनो लोक म फिरती
पारिब्रम्ह निरंजन आरती
प्रेषक प्रमोद पटेल
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