चेत रे दीवाना थारो अवसर जाय
माया ठगोरी तूख ठगी ठगी खाय
सावधान शब्द को तुन भेद नहीं पायो
हरि भजन को तुन अवसर गमायो
झुटी काया देग आग रे लगाय
माया ठगोरी तूख ठगी ठगी खाय
हरी माया म नारद भरमायो
माया नगरी म स्वयंबर रचायो
पड़ हरि मार नारद सहयो नही जाय
माया ठगोरी तूख ठगी ठगी खाय
हरि को नाम छे जग सी निरालो
छोटी म्हारी बुद्धि न तू छे रखवालो
हरि की दुकान हीरा दिया रे लुटाय
माया ठगोरी तूख ठगी ठगी खाय
प्रेषक प्रमोद पटेल
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1.निमाड़ी भजन संग्रह
2.प्रमोद पटेल सा रे गा मा पा
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