वीर हकीकत राय

"वीर हकीकत राय"

शीश गंवा कर हो गया,
धर्म के लिए वो बलिदान,
हिंदुत्व की रक्षा हेतू जो,
तज गया अपने प्राण,
ऐसे वीर बलिदानी का,
करें हम हृदय से सम्मान,
ऐसे वीर बलिदानी का,
करें हम हृदय से सम्मान...

धर शीश असि की धार जिसने,
किया प्राण तजना स्वीकार,
धर्म की खातिर मर मिटा वो,
किया ना परधर्म अंगीकार,
नश्वर देह है छूट जाएगी,
फिर करना क्यों अभिमान,
धर्म सदा है प्राणों से बढ़कर,
दे गया संदेश यह महान,
ऐसे वीर बलिदानी का,
करें हम हृदय से सम्मान...

वीर हकीकत राय तुम्हें,
हमारा शत शत नमन प्रणाम,
वीर हकीकत राय तुम्हें,
हमारा शत शत नमन प्रणाम।
           
राजीव त्यागी नजफगढ़ (नई दिल्ली)

श्रेणी
download bhajan lyrics (517 downloads)