मेरे सिरहाने खड़ी है दादी सर पे हाथ फिराती है

जब जब मेरा मन घबराए और तकलीफ़ सताती है,
मेरे सिरहाने खड़ी है दादी सर पे हाथ फिराती है

लोग से समझे मैं हूँ अकेला लेकिन साथ में मैया है,
लोग ये समझे डूब रहा मैं चल रही मेरी नैया है,
जब जब तूफा आते हैं ये खुद पतवार चलाती है,
मेरे सिरहाने खड़ी है दादी सर पे हाथ फिराती है

जिसके आंसूं कोई ना पौंछे कोई ना जिसको प्यार करे,
जिसके साथ ये दुनियां वाले मतलब का व्यवहार करे,
दुनियाँ जिसे ठुकाराती उसको दादी गले लगाती है,
मेरे सिरहाने खड़ी है दादी सर पे हाथ फिराती है

प्रीत की डोर बंधी दादी से जैसे दीपक बाती है,
कदम कदम पर रक्षा करती यह सुख दुःख की साथी है,
संजू जब रस्ता नहीं सूझें प्रेम का दीप जलाती है,
मेरे सिरहाने खड़ी है दादी सर पे हाथ फिराती है

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