प्रभु बड़ा दयालु है उपकार सभी पे करता
प्रभु बड़ा किरपालु है उधार सभी का करता
पिर्थ्वी हम को देती वन वनस्पति सारे
जिस से सवथ भी सही रहे सब के तन में क्या रे
सेवन करने से इनको अब मस्त भी तू रेहता
प्रभु बड़ा दयालु है उपकार सभी पे करता
वायु से ही स्वास मिले जीवत जिस से रेहते
कुछ समय हवा न मिले दम धुट धुट के रेहते
ये स्वास का स्वास का चालन व्र्मांड की करता
प्रभु बड़ा दयालु है उपकार सभी पे करता
जल ही जीवन देता जल ही तो प्राण आधार है
जल बिना नही होता जीवन संसार है
कभी रस धातु को ये परिपक्त है करता
प्रभु बड़ा दयालु है उपकार सभी पे करता