दयालु तुम्हारी दया चाहता हूँ,चरणों में
थोड़ी जगह चाहता हूँ
दयालु तुम्हारी दया चाहता हूं...
अज्ञानता ने डेरा जमाया,किया मन को
चंचल ऐसा लुभाया
ले लो शरण में शरण चाहता हूँ
दयालु तुम्हारी दया चाहता हूं...
उठे चाहे अंधी तूफ़ान आये,मेरे मन को
भगवन डिगा नहीं पाए
विश्वाश ऐसा तेरा चाहता हूँ
दयालु तुम्हारी दया चाहता हूँ...
नज़रें कर्मं गर हुई ना तुम्हारी,रहेगी
उजड़ती आशा की क्यारी
खिले फूल गुलशन सदा चाहता हूँ
दयालु तुम्हारी दया चाहता हूँ...
विनती सुनों ना मेरी कन्हैयां,मिले भीख
तेरी दया की कन्हैयां
नंदू दिवाना बनुं चाहता हूँ
दयालु तुम्हारी दया चाहता हूँ...
बाबा धसका पागल पानीपत
संपर्कंसुत्र-7206526000