अब गा तू ले वो गीत जो गाया कभी ना हो
पाले मोहन सा मीत जो पाया कभी न हो
सजा तू ले अपना हृदय घनश्याम के लिए
मेहमान बन के रह सके आराम के लिए
वो घर भी क्या जहां प्रभु आया कभी न हो
पा ले मोहन,,,
संसार के सपने में भी सांचा है सांवरा बृजराज के बिरहा में तू हो जा ना बांवरा
मोहन करे मेहर तो फिर मरना कभी ना हो,
पाले मोहन,,,,
व्याकुल हो जाते हैं सदा
भक्तों के पीर से सुना है रीझ जाते हैं नैनो के नीर से
ऐसे महा दयालु से दूरी कभी ना हो
पा ले मोहन सा
धुन लग जा गले की फिर ये,,,,
*बाबा आनंद राम दरबार चकरभाटा बिलासपुर छ.ग. 700049 2179*
राधे राधे जय श्री कृष्ण