समय को भरोसो कोनी कद पलटी मार जावे,
कदीकदी भेडिया से सिंह हार जावे
गुरु वशिष्ट महा मुनि ज्ञानी लिख लिख बात बतावे,
श्रीराम जंगल में जावे किस्मत पलटी खावे,
राजा दशरथ प्राण त्याग दें हाथ लगा नहीं पावे
राजा हरिश्चंद्र रानी तारावती रोहिताश कवर कहावे
ऐसो खेल रच्यो मेरे दाता तीनों ही बिकवा जावे
एक हरिजन एक ब्राह्मण घर एक दुविधा घर जावे
राजा की बेटी पदमागई मोर लारपरणावे मोर जाए
जंगल में मर गए किस्मत पलटी खावे
मेहर भाई शिव जी की ऐसी मोर को मर्द बनावे
राजा भरथरी रानी पिंगला मेला में सुख पावे
शिकार खेल में राजा भरतरी जंगल में जावे
गोरखनाथ गुरु ऐसा मिलिया राजा जोगी बन जावे
गुरु कहे ममता के वाणी अमृत रस बरसे
मारो मनड़ो गयो नीमा ने फिर फिर गोता खावे
हरिदास गुरु पूरा में लिया रामदास जस गावे
प्रेषक-आनंद डं गोरिया
गंगापुर सिटी