हम तेरे नादान से बालक तुम दया के सागर हो,
एक एक बूंद में तेरे अमृत हमको जान से प्यारा है,
हम तेरे नादान से बालक तुम दया के सागर हो
यह जीवन है तेरी अमानत इसको अपना ही माना,
जब तक तेरी शरण ना आयी अपना इसको ना जाना,
तुम हो जग के पालनहारे मेरा भी कुछ ध्यान करो,
हम तेरे नादान से बालक तुम दया के सागर हो
दुनिया तेरे दर पर मांगे खाली दामन फैलाकर,
हाथ पकड़ लो बाबा मेरा ठोकर खाई हूं दर दर,
तुम मेरे बन जाओ बाबा चरणों में यह अर्जी है
हम तेरे नादान से बालक तुम दया के सागर हो
तेरी राहों में बालाजी पलके आज बिछाई है,
तेरे होते दुख पाउँ मैं क्या यह तेरी मर्जी है,
आके तेरे दर पर मैंने यह अरदास लगाई है,
हम तेरे नादान से बालक तुम दया के सागर हो