दोहा:- डूब रही मझधार है, मेरी आके धीर बंधाओ
ओ खोली के सरदार साँवरे, तुम लीले चढ़ आ जाओ
हारे हुऐ है,सम्भालो कन्हिया ये जीवन नैया
जीवन ये मेरा तेरे हवाले ओ साँवरिया
हारे हुए है.......
चारो तरफ से, हार के बाबा , दर तेरे आये
सुनाऊ मै किसको, गम-ए-जिन्दगी का,आखिर ये तराना
जीवन में मेरे कर दो उजाला
ओ साँवरिया हारे हुए हैं.....
हारे का साथी, हे अवतारी, शयाम तुम्ही हो,
गम के मारो का, आखिरी ठिकाना, शयाम तुम्ही हो
तेरे सिवा अब जाए कहा हम-
ओ साँवरिया हारे हुए है........
द्रौपती का, चिर बढ़ाया, सभा बीच आये
सुदामा की भी, यारी निभाई, मान बढ़ाये
साग विधुर घर खाये मेरे मोहन-
ओ साँवरिया...... हारे हुए हैं........
शान्ति पिता श्री तुम्हारी, शरण मे आकर,तुमको रिझाये
आशीष भी चरणों मे तेरे , ध्यान लगाएं-
शयाम मण्डल को देना सहारा,
ओ साँवरिया..... हारे हुए है........