हार बैठा हु दुनिया से तेरे दरबार आया हु
तेरे दरबार आया हु तेरे दरबार आया हु
बिन तेरे ना कोई अपना मैया जग से सताया हु
हार बैठा हु दुनिया से तेरे दरबार आया हु
किया था प्रेम जिस जिस को उन्ही से धोखा खाया है,
हे माँ तू न भुला देना शरण में तेरी आया हु
हार बैठा हु दुनिया से तेरे दरबार आया हु
सुना है बिगड़ी लाखो की दातिये तुम बनाती हो
ना जाने खोट क्या मुझ में नजर तुम को ना आया हु
हार बैठा हु दुनिया से तेरे दरबार आया हु
हे माँ चरणों में तेरे शीश करे वंदन तेरा ये मनीष,
पुष्प रेहमत के बरसा दो तेरी चोकठ पे आया हु
हार बैठा हु दुनिया से तेरे दरबार आया हु