मनमोहन तुम रूठ गए तो कौन मेरा जग में 
कान्हा कौन मेरा ज आग में 
साथ रहे हो अब ना रहा तो कौन मेरा जग में 
कान्हा कौन मेरा ज आग में 
ज़िंदगीका कारवाँ रुकता नहीं है 
दिल है श्याम तुम बिन धड़कता नहीं है
चलने से पहले मैं गिर गया तो कौन मेरा जग में 
कान्हा कौन मेरा ज आग में 
तुम्हे क्या नहीं खबर सब कुछ पता है 
दिल ये दर्द मेरा हद से गुज़रता है 
मिलने से पहले बिछड़ गया तो कौन मेरा जग में 
कान्हा कौन मेरा ज आग में 
ग़म के मेले में कैसे मुलाकातें हो 
मेरे इश्क़ की आखिरी साँसे हो 
जीने से पहले मन मर गया तो कौन मेरा जग में 
कान्हा कौन मेरा ज आग में 
मिलने का रोग जो तुमसे लगा है 
छलिया ना तुम छालो ये दास तेरा है 
दर्शन से पहले भटक गया तो कौन मेरा जग में 
कान्हा कौन मेरा ज आग में