श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी,
तेरी मुरली की धुन पे मैं वारी।
तेरी सूरत है इतनी प्यारी,
हर साँस में बस नाम तिहारा।
गोविंद मेरे, गोपाल मेरे,
आओ आओ कन्हैया!
तेरी याद में पागल हुई हूँ,
थाम लो मेरी अब तो नैया।
वृन्दावन की गलियों में कान्हा,
आज भी रास रचाते हो।
माखन चुरा के ग्वाल-बालों संग,
सबके मन को बहलाते हो।
ओढ़ के चुनरी तेरी प्रेम की,
बन गई मैं तो तेरी पुजारिन।
गोविंद मेरे, गोपाल मेरे,
आओ आओ कन्हैया!
तेरी याद में पागल हुई हूँ,
थाम लो मेरी अब तो नैया।
हर पल, हर क्षण तेरी चाहत,
बिन तेरे अब जीवन क्या है।
तेरे चरणों की धूल मिल जाए,
बस इतनी सी मेरी दुआ है।
तेरी बंसी की धुन सुन के,
मैं भूल गई हूँ ये दुनिया सारी।
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी,
तेरी मुरली की धुन पे मैं वारी।
तेरी सूरत है इतनी प्यारी,
हर साँस में बस नाम तिहारा।