ना कोठी ना बंगला ना मुझे कार चाहिए,
मुझे तो उज्जैन के महाकाल का दीदार चाहिए।।
दुनिया के सब झूठे रिश्ते मेरे समझ ना आवे,
जब से देखा उज्जैन में महाकाल नजर ही आवे,
नंदी के असवार की दरकार चाहिए,
मुझे तो उज्जैन के महाकाल का दीदार चाहिए।।
हर सावन में उज्जैन नगरी कावड़ लेकर आऊं,
झूम झूम के महाकाल के भजनों में खो जाऊं,
महाकाल के भक्तों में मेरा नाम चाहिए,
मुझे तो उज्जैन के महाकाल का दीदार चाहिए।।
संजय अमन तो महाकाल से इतनी अर्ज लगावे,
दुनिया चाहे रूठे हमसे भोले तू अपनाले,
महाकाल के चरणों में स्थान चाहिए,
मुझे तो उज्जैन के महाकाल का दीदार चाहिए।।
ना कोठी ना बंगला ना मुझे कार चाहिए,
मुझे तो उज्जैन के महाकाल का दीदार चाहिए।।