ऐसी पिलाई साकी,
कुर्बान हो चुके हम,
अब तक रहे जो बाकी,
अरमान खो चुके हम।।
करते हो दिल्लगी तुम,
अव्वल बनाके पागल,
कूचे में तेरे आकर,
बदनाम हो चुके हम,
ऐसी पिलायी साकी,
कुर्बान हो चुके हम।।
पहला ही जाम भरकर,
ऐसा हमे पिलाया,
सारी अक्ल हुनर खो,
नादान हो चुके हम,
ऐसी पिलायी साकी,
कुर्बान हो चुके हम।।
बिल्कुल नही रहे अब,
दुनिया के काम के कुछ,
बस अब तो तेरे दर के,
मेहमान हो चुके हम,
ऐसी पिलायी साकी,
कुर्बान हो चुके हम।।
रहती हवस ये दिल में,
भर भर के जाम पियें,
इनकार तुम ना करना,
इकरार कर चुके हम,
ऐसी पिलायी साकी,
कुर्बान हो चुके हम।।
ऐसी पिलाई साकी,
कुर्बान हो चुके हम,
अब तक रहे जो बाकी,
अरमान खो चुके हम।।