बेटे की बीमारी न इलाज हो गई है
पति पतनी दोनों संग चलिए ,
चलो चलिए... इक बार शिवालय चल चलिए……….
सुनलो फ़कीर की ये सच होगी वाणी,
आया सोमवार निकल चलिये,
चलो चलिए... इक बार शिवालय चल चलिए………
चारे डाक्टर वैद ओजा सब के सब हुए फेल है,
दाबा और बिमारी में कोई नही ताल मेल है,
सुमिरो प्यारे शिव शिवा को यही अंतिम आस है,
हर ने हर की हरी परिशानी जो भी इनका दास है,
बोलो बम बम बोलो बम बोलो शिव भगतो,
देर नही इक पल करिए,
चलो चलिए इक बार शिवालय चल चलिए……..
कावड चडाने की तो केवल सावन मास में महता है,
लेकिन बाबा बैद नाथ पर हर दिन कावड चड़ता है,
ना कुछ लगता पैसा रुपिया केवल भाव के भूखे है,
माँ की चुनरी शिव की भंगिया ले लो दोनों नुठे है,
आज तयारी करो पूरी दुखियारी सुबह सुबह भी चलो चलिए,
चलो चलिए इक बार शिवालय चल चलिए……..