शून्य में सम्भावना
आता हमें है देखना,
विश्वविद्यालय तक्षिला
विश्व को पहला मिला,
शल्य सुश्रुता प्रदान है
दुनिया के लिये बरदान है,
जग को हमने ही सिखाया
वसुधेव कूटुम्बकम,
आत्मनिर्भर हम
बोलो बंदे मातरम
हमसे बेहतर हम
बोलो बंदे मातरम...
योग राम बाण है
सदियों का ये ज्ञान है,
ताज़ अपना ताज़महल
हुनर की पहचान है,
जाना जग जगदीश से
पौधों में भी तो जान है,
रमन ने लहरा दिया
रमन प्रभाव का परचम,
आत्मनिर्भर हम
बोलो बंदे मातरम
हमसे बेहतर हम
बोलो बंदे मातरम....
स्वदेशी अपनाने लगे
हम विदेशी भागने लगे,
खोजों का है ये सिलसिला
जो चाँद पे पानी मिला,
यू एस बी भी हमने दिया
मत पूछो क्या क्या किया,
हरगोबिंद पे है नाज़ हमें
दिया ड़ीएनए का राज़ हमें,
देश की स्वदेश की है
खोज की है हम,
आत्मनिर्भर हम
बोलो बंदे मातरम
हमसे बेहतर हम
बोलो बंदे मातरम.......