चरखा

चरखा खूब घुमाया, चरखे का भेद ना पाया
हीरा जन्म गंवाया री, चरखे का भेद ना पाया
कौन देश से आया तेरा चरखा, कौन देश में जाएगा
चरखे का भेद ना पाया……


अवधपुरी से आया मेरा चरखा, मृत्युलोक में जाएगा
चरखे का भेद ना पाया…..

जब मेरे चरखे ने जन्म लिया है, देखे दुनिया सारी
चरखे का भेद ना पाया……..

जब मेरा चरखा छोटा बालक सौ-सौ लाड़ लड़ाए री
चरखे का भेद ना पाया……

जब मेरे चरखे पे आई जवानी, चरखा खूब घुमाया री
चरखे का भेद ना पाया………

जब मेरे चरखे पे आया बुढ़ापा, ले कोने में बिठाया री
चरखे का भेद ना पाया………

टूट गई माल उधड़ गई जिंदगी, काया ने बल खाया री
चरखे का भेद ना पाया…………

चार जनों ने उठाया मेरा चरखा, ले जंगल में उतारा री
चरखे का भेद ना पाया……

चुन – चुन लकड़ी चिता बनाई, चरखा ठोक जलाया री
चरखे का भेद ना पाया………….

तुम क्या सोचो बहना, चरखा गाया, काया का हाल सुनाया री
चरखे का भेद ना पाया…….
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