¤ चेतावनी भजन ¤
प्रभू भी पाप करनी, को तेरे जब देखता होगा ।
जहाँ भेजा जो करने को, किया ना सोचता होगा ॥
मुसाफिर बन चला जब जीव, हरि का धाम तजकरके ।
भ्रमण कर आऊँगा वापस, प्रभू का नाम भजकरके ॥
जन्म नर का लिया रोया, कहाँ क्या क्या ही अब होगा ?
प्रभू भी...
स्वयं के स्वाद के कारण, जीव को मारकर खाया ।
पकड़ मदिरा के प्याले को, बहन-बेटी को तड़पाया ॥
पाप जो भी किये तुमने, प्रभु भी लिख रहा होगा ।
प्रभू भी...
कहीं हिंसा कहीं नफ़रत, कहीं करली लड़ाई को ।
छीन सुखचैन सज्जन के, दया कब है कसाई को ॥
देर तो है नहीं अंधेर, अन्त में तड़पना होगा ।
प्रभू भी...
पाप के भार से दबकर, तड़पकर मर गया पापी ।
भयानक यातना यम की, भोगता है वो संतापी ॥
उठेगी कान्त जब अर्थी, ज़माना थूकता होगा ।
प्रभू भी...
भजन रचना : श्री श्रीकान्त दास जी महाराज ।