जय बोलो माँ की सुन्दर सजा के इक झांकी,
नवारते में घर हमारे माँ को आना है,
भगतो रे चुनरिया घोटे की हमे माँ को चड़ना है,
ना जाने शेरसवारी आये अपने अटरिया,
कब से आंखे थकी थकी सी देख रही है दुवरिया,
भगती में डुबो माँ की मन में निहारो जानकी करदे गी रहम नजरिया,
मैया जी के दरस मिले गे खुशियों के सुमन खिले गे,
शारदा मन के भावो की जोत जला है,
भगतो रे चुनरिया गोटे की हमे माँ को चड़ना है,
एक अडिग विश्वास लिए माँ को दर पे भूलते है
लाल चुनरिया घोटे वाली मैया जी को चडाते है,
पुरना गिरी की रानी शिव की सती भवानी अधि शक्ति घर पाते है,
मैया जी का आसन लगाये प्यार से उसपे बिठाये
प्रेम से माँ के चरणों में हमें शीश जुकाना है,
भगतो रे चुनरिया धोटे की हमें माँ को चड़ना है,