आजा बाबा दुखड़े में,
घिर के मैं हारा,
तू ही हारे का मेरे श्याम,
है सहारा, है सहारा,
आया तेरे दर पे जो,
आया तेरे दर पे जो,
तूने ही उबारा, है उबारा,
तू ही हारे का मेरे श्याम,
है सहारा, है सहारा……
दर दर मैनें ठोकर खाई,
कोई मिला ना सहारा,
पल पल ऐसे तड़पा जैसे,
माटी बिन जल धारा,
बीच भँवर में भटकूँ बाबा,
बीच भँवर में भटकूँ बाबा,
सूझे ना किनारा, हो किनारा,
तू ही हारे का मेरे श्याम,
है सहारा, है सहारा………
आज बड़ो की इस दुनियाँ में,
मैं बिलकुल छोटा,
मेरे अपनों ने ही मुझकों,
लूटा और कचोटा,
दीनों की बिगड़ी को बाबा,
दीनों की बिगड़ी को बाबा,
तूने ही है सँवारा, है सँवारा,
तू ही हारे का मेरे श्याम,
है सहारा, है सहारा……….
अब तो मेरी सुनले दाता,
ना ऐसे तरसाओं,
हर्ष खड़ा है हाथ पसारें,
ना ऐसे बिसराओं,
भक्तों का तुझसे ही बाबा,
भक्तों का तुझसे ही बाबा,
चलता गुजारा है गुज़ारा,
तू ही हारे का मेरे श्याम,
है सहारा, है सहारा………
आजा बाबा दुखड़े में,
घिर के मैं हारा,
तू ही हारे का मेरे श्याम,
है सहारा, है सहारा,
आया तेरे दर पे जो,
आया तेरे दर पे जो,
तूने ही उबारा, है उबारा,
तू ही हारे का मेरे श्याम,
है सहारा, है सहारा………..